Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani

यह Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani है । एक बार की बात है, एक खरगोश था । वह खरगोश बहुत तेज़ दौड़ता था । उसे अपनी गति पर बहुत गर्व था । एक दिन, खरगोश ने कछुए को बहुत धीमी गति से चलते हुए देखा । खरगोश ने कछुए पर हँसते हुए कहा, “आप इतनी धीमी गति से चलते हैं!” “मेरे प्यारे दोस्त! आपको अपनी गति पर बहुत गर्व है । चलो यह देखने के लिए एक दौड़ करते है और देखते हैं कि कौन तेज़ दौड़ सकता है, ”कछुए ने कहा ।

उसी क्षण, खरगोश और कछुए की एक दौड़ हुई । खरगोश बहुत तेज़ी से भागा और वह बहुत दूर पहुँच गया । थोड़ी देर बाद, खरगोश वापस यह देखने के लिए मुड़ा कि कछुआ कहाँ था । कछुआ बहुत धीरे-धीरे चल रहा था और वह खरगोश से बहुत पीछे था । खरगोश ने सोचा, “कछुए को मेरे पास आने में बहुत लंबा समय लगेगा ।”

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खरगोश ऊबने लगा । उसने झपकी लेने का सोचा । इस बीच, वह घास खाने लगा । खाने के बाद वह सोने चला गया । कछुआ धीरे-धीरे लेकिन तेज़ी से खरगोश को पार कर गया । खरगोश अचानक उठा और उसने सिर्फ यह देखा कि कछुआ फिनिशिंग लाइन पार कर रहा है ।

खरगोश बहुत तेज़ दौड़ने लगा, मगर बहुत देर हो चुकी थी । कछुए ने पहले ही दौड़ जीत ली थी । खरगोश अपने प्रतिद्वंद्वी को पहले से ही एक विजेता के रूप में पाकर बेहद निराश था । कछुए ने खरगोश का सारा घमंड तोड़ दिया ।

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कहानी से सीख: धीमे और स्थिर रह कर कोई भी स्थिति में जीत प्राप्त की जा सकती है

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