बदकिस्मत नौकर

Akbar Birbal ki Kahaniyan – यह बच्चों के लिए प्रसिद्ध अकबर बीरबल कहानियों में से एक, “बदकिस्मत नौकर” की कहानी है। एक बार बादशाह अकबर के महल में युसुफ नाम का एक बूढ़ा नौकर रहता था। वह एक अच्छा और दयालु आदमी था लेकिन हर कोई सोचता था कि उसका चेहरा देखना दुर्भग्यपूर्वाक है।

एक दिन सुबह सबसे पहले अकबर युसुफ से टकराया। “हाय भगवान्! मुझे आशा है कि अब मेरा दिन खराब होगा,” उसने मन ही मन सोचा। दुर्भाग्य से, पाँच मिनट बाद, बादशाह अकबर फिसल कर गिर गए। शीघ्र ही एक दूत यह समाचार लेकर दौड़ता हुआ आया कि उनका पोता बहुत बीमार है। अकबर उसके पास भागते हुए गए और यह जानकर राहत मिली कि यह सिर्फ सर्दी और खांसी थी।

और पढ़िए , कुएं का पानी – Akbar Birbal Ki Kahaniyan
बदकिस्मत नौकर

बदकिस्मत नौकर

बाद में दिन में, बादशाह को सूचित किया गया कि सीमा पर उसके दुश्मनों के साथ कुछ समस्या है। और तो और उन्हें  उस दिन बना खाना भी पसंद नहीं आया। वह वास्तव में बहुत क्रोधी महसूस कर रहे थे। “यह सब युसूफ की गलती है। मैं बदकिस्मत था कि सुबह सबसे पहले उसका चेहरा देखा,” उसने शिकायत की। क्रोधित बादशाह ने आदेश दिया कि बूढ़े नौकर को जेल में डाल दिया जाए। उन्होंने कहा, “किसी को उसका चेहरा फिर कभी देखने न दें।”

सौभाग्य से, यूसुफ जेल के रास्ते में बीरबल से मिला। “आपको मेरी मदद करनी चाहिए, सर,” उसने रोते हुए याचना की। बीरबल मान गए और वे दोनों बादशाह अकबर के पास गए। बीरबल ने कहा, “महाराज! यह आदमी निर्दोष है। मुझे कुछ प्रश्न पूछने दो और आप स्वयं देख लेंगे।” बादशाह अकबर सहमत हो गए।

बीरबल ने उस बदनसीब नौकर से पूछा कि आज सुबह उसने सबसे पहले किसका चेहरा देखा था। भयभीत युसूफ कांप रहा था और उसने उत्तर दिया, “मैंने पहली बार बादशाह को देखा।” बीरबल ने अकबर से कहा, “देखो, महामहिम, आपका दिन खराब था क्योंकि आपने आज सुबह उसका चेहरा देखा था। आपकी किस्मत तो फिर भी कम खराब है मगर यूसुफ जिसने सुबह सबसे पहले आपका चेहरा देखा था, अब उस बेचेरे को जेल में डाला जा रहा है, तो किसका चेहरा बदकिस्मत है? उसका या आपका?” बीरबल ने चतुराई से पूछा।

और पढ़िए , शेर का पिंजरा – Akbar Birbal Ki Kahaniyan

अकबर तुरंत समझ गए कि बीरबल उसे क्या बताना चाह रहा था। “हाँ, मैं इस तरह के अंधविश्वास में विश्वास करने और एक निर्दोष व्यक्ति पर गलत आरोप लगाने के लिए मूर्ख था,” वह सहमत हुए।

फ़ौरन बादशाह अकबर ने यूसुफ़ को आज़ाद करने का हुक्म दिया। युसफ ने बीरबल को अपना आभार व्यक्त किया और उनका शुक्रगुज़ार हो गया। अकबर ने भी बीरबल को धन्यवाद दिया।और इसी तरह एक बार फिर बीरबल ने बादशाह अकबर को गलत फैसला लेने से रोक लिया!